Thursday, March 28, 2019

गिरिराज सिंह बीबीसी के किस सवाल पर भड़क गए ?

भारतीय जनता पार्टी ने केंद्रीय मंत्री और बिहार के नवादा से सांसद गिरिराज सिंह को अब बेगूसराय सीट से चुनाव लड़ने के लिए कहा है.

इस सीट से महागठबंधन से तनवीर हसन और भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी की ओर से कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाया गया है.

लेकन अब गिरिराज सिंह अपने आप को बेगूसराय से उम्मीदवार बनाए जाने से नाराज़ हैं.

बीबीसी संवाददाता पंकज प्रियदर्शी ने गिरिराज सिंह से दिल्ली में बातचीत की. इस दौरान उनके एक सवाल पर गिरिराज सिंह भड़क गए और साक्षात्कार बीच में ही छोड़ते हुए माइक हटा दिया.

आप बेगूसराय सीट से लड़ने को लेकर नाराज़ क्यों हैं?

बेगूसराय मेरी जन्मभूमि है, मेरी कर्मभूमि है. तकलीफ़ इस बात की है कि पार्टी नेतृत्व को चाहिए था इस पर चर्चा और चिंता करना. लेकिन अंतिम समय तक मुझसे कहा गया कि दादा आप जहां से चाहेंगे वहां से लड़ेंगे और जो निर्णय लिया वो बिना मुझे विश्वास में लिए लिया गया. ये मेरे लिए पीड़ादायक है.

टिकट पार्टी की चुनाव समिति तय करती है जिसमें केंद्रीय नेतृत्व होता है. क्या इसका मतलब ये है प्रधानमंत्री के नेतृत्व में हुई चुनाव समिति की बैठक में आपके टिकट को लेकर निर्णय लिया गया?

मैं चुनौती देता हूं, मैं राजनीति छोड़ दूंगा, जो मैंने डाटा दिया है. वो डाटा हैं क्योंकि सिडबी ने, सीजीटीएमएससी में, वो डाटा है कि अगर 2010 से 2014 में यूपीए सरकार में 11 लाख है तो हमारे भी 18 लाख हैं.

अब जब ममता बनर्जी धरने पर बैठती हैं तो राहुल जी उनका मुंह पोंछते हैं और जब राहुल जी बंगाल जाते हैं तो ममता जी को क्या क्या नहीं कहा मैं उन शब्दों का प्रयोग भी नहीं कर सकता.

दुनिया के सामने एक मज़बूत सरकार देने का, जिससे मज़बूत भारत बने. ये कई विसंगतियां हैं, जो देश ने तय किया है. देश में एक माहौल बन रहा है, आम धारणा बन रही है कि मोदी के नेतृत्व में एक मज़बूत सरकार बने.

इधर जो गठबंधन है, मायावती जी और अखिलेश जी निकाल दिए इनको. ये आंसू पोंछने के लिए तो एक दूसरे के साथ साथ जुट जाते हैं. लेकिन जब सवाल आता है कि कौन होगा प्रधानमंत्री तो एक दूसरे को धक्का मारते हैं.

प्रधानमंत्री बहुत हैं, लेकिन आपको यूपी में क्यों खदेड़ दिया. आप ममता बनर्जी को क्यों गाली दे रह हैं, कम्यूनिस्ट कहीं कुछ हैं कहीं कुछ हैं. ये कई विसंगतियां हैं, उन विसंगतियों को आप लाख समझाएंगे, देश की जनता समझने के लिए तैयार नहीं है.

हमें तो कहना चाहिए कि मेरा बेटा हज़ार लोगों को मारकर आया है, ये पाकिस्तान बोले ना कि हमारा एक ना मरा. दुर्भाग्य ये है कि पाकिस्तान की भाषा हमारे युवराज बोल रहे हैं. एक दिन तो कहा कि हम सेना के साथ हैं, देश के साथ हैं. लेकिन तीसरे दिन से ही छटपटाहट आने लगी और सबूत मांगने लगे.

कोई ग़लत कहा तीन सौ चार सौ, कहना चाहिए एक हज़ार. पाकिस्तान सबूत दे कि उसका एक ना मरा. एक वीडियो वायरल हुआ था जिसमें पाकिस्तानी सेना के अफ़सर मरने वालों के घर गए थे. (इस पर बीबीसी संवाददाता ने रोक कर कहा कि ये फ़ेक वीडियो था). आप पाकिस्तान की भाषा क्यों बोल रहे हैं. हम तो कहेंगे कि हमने ध्वस्त कर दिया एक हज़ार, सबूत दो कि एक हज़ार नहीं मरा.

सेना ने ठीक ही कहा, मेरा काम था स्ट्राइक करना. मेरा लाशें गिनना काम नहीं है. हमसे पूछे होते तो हम तो दो-तीन हज़ार बताते. पाकिस्तान ने क्यों घेराबंदी कर रखी है और मीडिया को वहां तक एक सप्ताह बाद भी जाने नहीं दिया.

जबावः ये सवाल सिद्धू जी से पूछा जाना चाहिए. ये आप अकबर लेन से क्यों नहीं पूछ रहे हैं जो कह रहा है कि जो पाकिस्तान को गाली देगा हम उसे दस गाली देंगे. भैया काहे को गाली दोगे, सिद्धू जी से संपर्क कर लो, वो वीज़ा ठीक ठाक कर देंगे, इमरान ख़ान से उनकी बड़ी अच्छी दोस्ती है. ऐसे-ऐसे लोग हैं, खाते यहां का हैं, गाते पाकिस्तान की हैं.

जबावः कई लोग मुझसे बात कर रहे हैं, मैं भी बात कर रहा हूं. प्रदेश नेतृत्व, जिस दिन मुझे, जो मुझे ठेस लगा है कि मुझे विश्वास में क्यों नहीं लिया गया, ये साफ़ कर देंगे तो मैं बेगूसराय में सम्मान और स्वाभिमान के साथ आगे की रणनीति तय करूंगा. मेरी पीड़ा ये भी है कि राज्य नेतृत्व ने केंद्रीय नेतृत्व को कुछ ग़लत जानकारी भी दिया है. जिन्होंने दर्द दिया है वो ही दवा भी देंगे.

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